Rabies-alert: एक छोटी सी लापरवाही, जीवन पर भारी

Rabies-alert: एक छोटी सी लापरवाही, जीवन पर भारी

रेबीज एक अत्यंत घातक वायरल बीमारी है, जो आमतौर पर संक्रमित जानवरों के काटने या खरोंचने के माध्यम से मनुष्यों में फैलती है। यह वायरस सीधे तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है, और यदि समय रहते इलाज न हो तो मृत्यु लगभग तय मानी जाती है। दुर्भाग्यवश, इस बीमारी को लेकर समाज में अभी भी कई भ्रांतियां और लापरवाहियां प्रचलित हैं, जो जानलेवा साबित हो सकती हैं।


उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव में रहता था 12 साल का अभिमन्यु। चंचल, हंसमुख और बेहद होशियार। स्कूल में हमेशा अव्वल आता और गांव के लोग कहते — “ये लड़का तो एक दिन बड़ा अफसर बनेगा।” उसकी मां मीरा और पिता सुरेश को उस पर नाज़ था।
अभिमन्यु को जानवरों से बहुत लगाव था। गांव के रास्तों में जब भी कोई आवारा कुत्ता दिखता, वह उसे रोटी खिला देता, सिर पर हाथ फेरता और कहता, “बच्चा है ये भी, भूखा होगा।”
एक दिन स्कूल से लौटते वक्त, गांव के मोड़ पर एक कुत्ता अचानक से भौंकता हुआ दौड़ा और अभिमन्यु की टांग में काट लिया। बच्चा रो पड़ा, लेकिन गांव वालों ने कहा, “अरे ये तो हमारा पुराना मुहल्ले का कुत्ता है, कुछ नहीं होगा। बस हल्दी लगा दो।”
मीरा ने घर आकर घाव पर नमक और हल्दी लगाया, और बात वहीं खत्म कर दी। कोई अस्पताल नहीं गया, कोई टीका नहीं लगवाया। सबने यही समझा — मामूली बात है।
लेकिन 20 दिन बाद अभिमन्यु को बुखार आने लगा। रात को पसीने में भीग जाता, और सुबह उसका चेहरा बुझा-बुझा रहता। एक रात वो अचानक चीखने लगा, “मां… मुझे पानी से डर लग रहा है… कोई मुझे बचा लो…” उसकी आंखों में भय था… जैसे कुछ दिख रहा हो… कुछ जो उसे निगलने आया हो।
मीरा घबरा गई। सुरेश उसे लेकर शहर के सरकारी अस्पताल भागा। डॉक्टर ने बस लक्षण देखकर कह दिया, “आप बहुत देर कर चुके हैं… ये रेबीज है… अब कुछ नहीं हो सकता…”
मीरा की चीखें पूरे अस्पताल में गूंज उठीं।
“कैसी मां हूं मैं… मेरे लाल की जान मेरी लापरवाही से गई?”
अभिमन्यु अब बोल नहीं पा रहा था, बस उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे। जैसे वो कहना चाहता हो — “मुझे जीना है मां… मुझे मरना नहीं था…”
तीसरे दिन अभिमन्यु ने अंतिम सांस ली।
वो मुस्कुराता हुआ चला गया — शायद इसलिए कि आखिरी बार भी उसकी मां का हाथ उसके माथे पर था।

अभिमन्यु अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन उसकी कहानी हर माता-पिता, हर शिक्षक और हर नागरिक के लिए एक संदेश छोड़ गई है।

कुत्ते के काटने को हल्के में न लें।
रेबीज का टीका जीवन बचा सकता है।
एक टीका, एक जागरूकता, एक जान बचा सकती है।


रेबीज क्या है?

रेबीज एक वायरल रोग है, जो Lyssavirus नामक वायरस से होता है। यह मुख्य रूप से संक्रमित जानवर की लार के संपर्क में आने से फैलता है। संक्रमण का माध्यम आमतौर पर काटने, खरोंचने या संक्रमित लार के घाव पर लगने से होता है।

एक बार जब वायरस मस्तिष्क तक पहुंच जाता है, तब इसका कोई इलाज नहीं होता — इसलिए इसे “No Point of Return Disease” कहा जाता है।


रेबीज के संक्रमण के सामान्य कारण

भारत में 90% से अधिक मामलों में संक्रमण का स्रोत आवारा कुत्तों का काटना होता है।


रेबीज के लक्षण

प्रारंभिक लक्षण (1–3 दिन):

प्रगतिशील लक्षण (3–10 दिन):

अंतिम चरण:


संक्रमण के बाद शरीर में क्या होता है?

रेबीज वायरस शरीर में घाव के माध्यम से प्रवेश करता है और तंत्रिका तंत्र के माध्यम से मस्तिष्क तक पहुंचता है। मस्तिष्क में संक्रमण फैलते ही रोग लाइलाज हो जाता है। इसीलिए, लक्षण प्रकट होने से पहले ही उपचार अति आवश्यक है।


उपचार और रोकथाम: PEP (Post-Exposure Prophylaxis)

यदि किसी को काट लिया गया है, तो निम्नलिखित कदम उठाना जीवन रक्षक हो सकता है:

  1. घाव की तत्काल सफाई: साबुन और बहते पानी से कम से कम 15 मिनट तक धोना
  2. एंटी-रेबीज वैक्सीन (ARV): निर्धारित समय पर (0, 3, 7, 14, 28वें दिन) लगवाना
  3. रेबीज इम्युनोग्लोब्युलिन (RIG): गंभीर घाव या मांसपेशी तक पहुंचे काट के मामलों में लगाया जाता है

ध्यान रखें: लक्षण एक बार प्रकट हो जाने के बाद वैक्सीन अप्रभावी हो जाता है।


रेबीज से बचाव के उपाय


रेबीज से जुड़े सामान्य भ्रम और वास्तविकताएं

मिथक सच्चाई
हल्के काट को नजरअंदाज किया जा सकता है कोई भी काट खतरनाक हो सकता है
घरेलू कुत्ता है, चिंता की बात नहीं यदि वैक्सीनेटेड नहीं है, तो जोखिम बना रहता है
खून नहीं निकला तो खतरा नहीं वायरस लार से फैलता है, खून जरूरी नहीं
एक बार टीका लगवाने से हमेशा के लिए सुरक्षा मिलती है हर बार नए संक्रमण पर PEP आवश्यक है

भारत में रेबीज के आंकड़े


सरकार और WHO की पहल


निष्कर्ष: जानिए, सतर्क रहें और बचाव करें

रेबीज कोई आम बीमारी नहीं — यह एक ऐसी चुनौती है, जो केवल सतर्कता से टाली जा सकती है। इलाज से अधिक महत्वपूर्ण है समय पर बचाव

यदि कभी कोई जानवर काट ले, तो इंतजार न करें — तुरंत अस्पताल जाएं, टीकाकरण कराएं और पूरी श्रृंखला पूरी करें।

“रेबीज से डरें नहीं, लेकिन जागरूक रहें — यही सुरक्षा है।

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